Monday, February 27, 2023

श्रम की प्रतिष्ठा = आचार्य विनोबा भावे

 


श्रम की प्रतिष्ठा

आचार्य विनोबा भावे

1.      श्रम की प्रतिष्ठा किस विधा की रचना है ? उत्तर:- निबंध ।

2.      श्रम की प्रतिष्ठा के लेखक कौन है ? उत्तर:- आचार्य विनोबा भावे ।

3.      आचार्य विनोबा भावे का जन्म कब हुआ ? उतर :- 11 सितंबर 1895 ईस्वी ।

4.      जो शख्स पसीने से रोटी कमाता है वह क्या हो जाता है ? उत्तर:-  धर्म पुरुष ।

5.      आज समाज में किसकी प्रतिष्ठा नहीं है ? उतर :-  श्रम की ।

6.      आचार्य विनोबा भावे का वास्तविक नाम क्या था ? उत्तर:-  विनायकराव भावे ।

7.      आचार्य विनोबा भावे के ऊपर किसका प्रभाव था ? उत्तर:- महात्मा गांधी ।

8.      पृथ्वी का भार किस के मस्तक पर स्थित है ? उत्तर:- शेषनाग अर्थात मजदूरों के मस्तक पर ।

9.      कौन सा शख्स धर्म पुरुष हो जाता है ? उत्तर:-  जो शख्स पसीने से रोटी कमाता है वह धर्म पुरुष हो जाता है ।

10.    अपने समाज में किस की प्रतिष्ठा नहीं है ? उत्तर:-  श्रम की ।

11.     लोग अपने बच्चों को क्यों पढ़ाते हैं ? उत्तर:- लोग अपने बच्चे को इसलिए पढ़ाते हैं कि उनके लड़के या बच्चे को अच्छी नौकरी मिल सके तथा उन्हें भी उनकी तरह परिश्रम ना करना पड़े।

12.    किस का मूल्य कम या ज्यादा रखना ठीक नहीं है ? उत्तर:- दिमागी काम तथा श्रम का मूल्य ज्यादा कम रखना ठीक नहीं ।

13.    महात्मा गांधी अपने खाली समय में क्या करते थे ? उत्तर:-  सूत काटते थे ।

14.    श्रम की प्रतिष्ठा निबंध में लेखक ने क्या करने की प्रेरणा दी है ? उत्तर :-  श्रम करने का ।

15.    लेखक ने शेषनाग किसे माना है ? उत्तर :-  मजदूरों को ।

16.    लेखक के अनुसार कौन कर्म योगी नहीं हो सकता ? उत्तर :-  जो व्यक्ति श्रम करने से बचता है वह कर्म योगी नहीं हो सकता ।

17.    लेखक ने किसके उदाहरण के माध्यम से श्रम के महत्व को दिखलाया है ? उत्तर :-  लेखक ने रामायण के सीता मां और महाभारत के भगवान श्री कृष्ण का उदाहरण देकर श्रम के महत्व को दिखलाया है ।

 

बोध मुल्क प्रश्न

 

1.      धर्म पुरुष किसे कहा जाता है ?

उत्तर:- जो व्यक्ति पसीने से रोटी कमाता है वही धर्म पुरुष कहलाता है ।

2.      कौन से लोग खा सकते हैं और आशीर्वाद दे सकते हैं लेकिन काम नहीं करते ?

उत्तर:- ज्ञानी अर्थात विद्वान लोग खा सकते हैं और आशीर्वाद दे सकते हैं लेकिन काम नहीं कर सकते ।

3.      श्रम की प्रतिष्ठा निबंध का सारांश अपने शब्दों में लिखिए ।

उत्तर:- श्रम की प्रतिष्ठा निबंध के लेखक आचार्य विनोबा भावे हैं। उन्होंने इस निबंध के माध्यम से लोगों को श्रम के महत्व को दर्शाया है । उन्होंने श्रमिकों को शेषनाग की उपाधि दी है। भगवान ने भी मजदूरों को कर्म योगी कहां है लेकिन यह भी बताया है कि केवल कर्म करने से कोई कर्म योगी नहीं बन जाता दिन भर मेहनत करके अपने पसीने से रोटी कमाने वाले ही कर्म योगी होते हैं क्योंकि इनको पाप करने का समय नहीं मिलता ।

उन्होंने बतलाया कि जो अपने कर्म को टालते हैं तथा श्रम से बचने की कोशिश करते हैं वह कर्म योगी नहीं हो सकता । जिसके पास खाली समय होता है वहां शैतान का काम शुरू हो जाता है जो लोग अपने कर्म को पूजा नहीं समझते केवल लाचारी से कर्म करते हैं वह सच्चा कर्मयोगी नहीं हो सकता।

इस निबंध के माध्यम से लेखक ने साधारण व्यक्ति की मानसिकता को दर्शाया है। उनका कहना है कि देहाती लोग अपने बच्चों को केवल इसलिए पढ़ाते हैं जिससे उनको नौकरी मिल सके तथा उन्हें मजदूरों की तरह खतना ना पड़े । हमारे समाज में दिमागी काम करने वाले लोग मेहनत तथा मजदूरी करने वाले लोगों को नीच समझते हैं। वे उन्हें थोड़ी मजदूरी देखकर ज्यादा काम करवाना चाहते हैं मजदूर भी अपने काम से प्रेम नहीं करते उन्हें या लगता है कि यह काम सम्मानजनक नहीं है ।

लेखक ने इस निबंध में रामायण तथा महाभारत का उदाहरण देकर श्रम के महत्व को दर्शाया है। वह रामायण के कुछ क्षणों को बतलाते हुए कहते हैं कि राम को जब वनवास हुआ तब सीता ने भी उनके साथ जाने की इच्छा प्रकट की तब कौशल्य ने कहा कि मैंने आज तक सीता को एक दीप की बातें भी जलाने नहीं दिया लेखक के अनुसार यहां पर श्रम की प्रतिष्ठा नहीं मानी गई। उनका कहना है कि ससुर के घर में बहु को बेटी के समान माना गया है पर मेहनत को ही माना गया यह सही नहीं है । महाभारत का उदाहरण देकर लेखक ने बतलाया की धर्मराज युधिष्ठिर ने राज्यसुयज्ञ किया जिसमें श्री कृष्ण ने अपने लिए काम मांगा । धर्मराज ने कहा आप मेरे लिए पूजनीय है मैं आपको काम नहीं दे सकता तब भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि मैं आदरणीय हूं वरना लायक नहीं अंत में भगवान ने स्वयं के लिए झूठी पतले उठाने और पोछा लगाने का काम लिया यहां पर श्रम की महत्ता दिखाई गई है।

समाज के बेकार वर्ग को बतलाते हुए वह कहते हैं कि हमारे समाज के लोग कहते हैं ज्ञानी , योगी , बूढ़े व्यापारी , वकील , अध्यापक , विद्यार्थी को काम नहीं करना चाहिए। लेखक के अनुसार ऐसा करने पर बेकारी बढ़ेगा। लेखक इस निबंध के माध्यम से समझाना चाहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को थोड़ा-थोड़ा शारीरिक श्रम करना चाहिए । हमारे समाज में दिमागी काम करने वाले को अधिक तथा श्रम करने वाले को कम से कम वेतन मिलता है इसलिए दिमागी काम करने वाले का महत्व बढ़ गया है लेखक इस निबंध के माध्यम से या कहना चाहते हैं कि  थोड़ा श्रम करें बिना खाने से जीवन पापी बनता है । पकाते हैं कि काम का मूल्य समान होना चाहिए । जब यह होगा तभी समाज में श्रम की प्रतिष्ठा होगी। इस प्रकार लेखक ने प्रत्येक व्यक्ति को कुछ ना कुछ शर्म करने की प्रेरणा दी है ।

4.      श्रम की प्रतिष्ठा निबंध से क्या प्रेरणा मिलती है ?

उत्तर:- श्रम की प्रतिष्ठा आचार्य विनोबा भावे का एक महत्वपूर्ण निबंध है । इस निबंध में उन्होंने सभी को कुछ ना कुछ श्रम करने की प्रेरणा दी है। हमारे देश के बुद्धिमान तथा अमीर लोग श्रम से बचते हैं। शारीरिक श्रम करने वाले को निम्न श्रेणी का मानते हैं तथा उन्हें घृणा की दृष्टि से देखते हैं। लेखक का कहना है कि श्रम करने वाला वायक्ति श्रेष्ठ होता है उनके जीवन में पाप नहीं होता।

आचार्य कहते हैं कि दिमागी काम तथा श्रम का मूल्य कम ज्यादा रखना ठीक नहीं इस दुनिया में हर व्यक्ति को थोड़ा बहुत शारीरिक श्रम करना चाहिए । हर कार्य का मूल समान होने पर ही समाज में श्रम की प्रतिष्ठा बढ़ेगी ।

5.      लेकिन सिर्फ श्रम करने से कोई कर्म योगी नहीं बनता है।“ इसके रचनाकार का नाम बताते हुए पंक्तियों का आशय स्पष्ट करो ।

उत्तर:- प्रस्तुत पंक्ति के रचनाकार आचार्य विनोबा भावे हैं । प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से वह समाज को यह समझाने का प्रयास करते हैं कि केवल काम करने से कोई कर्म योगी नहीं बन जाता । वास्तव में जो कर्म को पूजा नहीं समझता है केवल मजबुरी में काम करता है वह कर्म योगी नहीं होता।

 

भाषा बोध :-

1.      निम्नलिखित शब्दों का वाक्य में प्रयोग कर लिंग निर्णय करें ।

पृथ्वी = पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है । - स्त्रीलिंग |

कर्मयोगी =  कर्म योगी काम को पूजा समझता है । - पुलिंग |

तालीम = सभी को तालीम मिलनी चाहिए | - स्त्रीलिंग |

प्रतिष्ठा = अच्छे कर्म से प्रतिष्ठा मिलती है । - स्त्रीलिंग |

मजदूर = मजदूर मेहनती होता है । -पुलिंग |

इज्जत = हमें सभी की इज्जत करनी चाहिए । - स्त्रीलिंग |

व्यवस्था = हमारे विद्यालय की व्यवस्था अच्छी है । - स्त्रीलिंग ।

2.      निम्नलिखित वाक्यांशों में आए कारक विभक्ति ओं का नाम लिखिए ।

(क)    रामायण में भी एक कहानी है = रामायण में (अधिकरण कारक)

(ख)     सीता का जाना कैसे होगा = सीता का (संबंध कारक)

(ग)      धर्मराज ने राजसूय यज्ञ किया = धर्मराज ने  (कर्ता कारक)

(घ)    बूढ़ों को काम से मुक्त रहना चाहिए = बूढ़ों को (कर्म कारक) काम से (अपादान कारक)

3.      निम्नलिखित शब्दों के विपरीतार्थक शब्द लिखिए ।

i) पृथ्वी = आकाश   ii) पाप =  पुण्य    iii) नालायक = लायक  iv) जीवन = मृत्यु   v)उपकारी =  अपकारी

vi) उचित = अनुचित     vii) नीच =  ऊँच

4.      निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए ।

पृथ्वी = भू , धारा , धरती

भगवान = ईश्वर , परमात्मा , प्रभु , जगदीश

रात = ,रात्रि , निशा , रजनी

शरीर = देह, बदन , काया , तन                                 

इज्जत = सम्मान, प्रतिष्ठा, मान , आदर

 

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