Friday, February 17, 2023

धूमकेतु - गुणाकर मुले (Class - 10)

 

धूमकेतु

गुणाकर मुले

A. Short Answer Questions :


1.    गुरुत्वाकर्षण की खोज किसने की ? उत्तर:- आइज़क न्यूटन ।

2.    हेली का धूमकेतु पुनः पृथ्वी और सूर्य के समीप कब आएगा ? उत्तर:- 2062 ईस्वी में ।

3.    उल्का शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम कहां मिलता है ? उत्तर:- अर्थववेद

4.    धूमकेतु किसके ताप से गर्म हो जाता है ?उत्तर :- सूर्य के ।

5.    धूमकेतु को कौन सा तारा कहते हैं ? उत्तर :- पुच्छल तारा ।

6.    नई जानकारी के अनुसार हेली के धूमकेतु का नाभिक का आकार कितना है ? उत्तर :- 144 K.M / 16 x 9 K.M

7.    धूमकेतु के नाभिक से प्रति सेकंड कितने टन धूली उत्सर्जित होती है ? उत्तर:-10 टन धूली उत्सर्जित होती है

8.    आकाश के राक्षस क्या है आवेदन ? उत्तर :- यह एक पुस्तक है।

9.    महाभारत में भयंकर धूमकेतु के किस नक्षत्र के पार पहुंचने पर भयंकर युद्ध होने की बात कही गई थी ? उत्तर :- पुष्य नक्षत्र ।

10.  धूम का अर्थ है ? उत्तर :- धूम का अर्थ = धुआ 

11.  केतु का अर्थ है ? उत्तर :- केतु का अर्थ = पताका है ।

12.  धूमकेतु किसकी परिक्रमा करता है ? उत्तर :- सूर्य की ।

13.  वृहत्संहिता के रचनाकार कौन है ? उत्तर :- वराहमिहिर ।

14.  कोमेते किस भाषा का शब्द है ? उत्तर :- यूनानी ।

15.  आइज़क न्यूटन के मित्र कौन थे ? उत्तर :-एडमंड हैली ।

16.  पाश्चात्य ज्योतिष में धूमकेतु को क्या कहते हैं ? उत्तर :- कॉमेट ।

17.  बिएला धूमकेतु कितने वर्षों में सूर्य का चक्कर लगाता था ? उत्तर :- सात वर्ष |

18.  कोमते का अर्थ है ? उत्तर :- लंबे बालों वाला ।

19.  धूमकेतु का अधिकांश द्रव्या कहां होता है ? उत्तर :- नाभिक में ।

20.  खगोलविदो मैं अब तक धूमकेतु की कितनी कक्षाएं निर्धारित की है ? उत्तर :- करीब डेढ़ हजार धूमकेतु ।

21.  धूमकेतु पाठ के लेखक कौन है ? उत्तर :- गुणाकर मुले ।

22.  धूम केतु किन दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है ? उत्तर :- धुआ और पताका से ।

23.  पुराने जमाने में धूमकेतु किसका सूचक माना जाता था ? उत्तर :- भयंकर खतरे का सूचक ।

24.  कॉमेट शब्द की उत्पत्ति किस शब्द से हुई है ? उत्तर :- कोमते ।

25.  अर्थ वेद में धूमकेतु के बारे में क्या शब्द है ? उत्तर :- उल्का ।

26.  धूमकेतु का पर्याय क्या है ? उत्तर :- पुच्छल तारा या कोमोते ।

27.  यूरोप के आकाश में धूमकेतु कब प्रकट हुआ था ? उत्तर :- 1528 ई०l

28.  वाराहमिहिर किस देश में पैदा हुए थे ? उत्तर :- भारत |

29.  किस महाकाव्य में धूमकेतु का उल्लेख है ? उत्तर: - महाभारत ।

30.  तीखे ब्राहे कौन थे ? उत्तर :- यूरोप के महान ज्योतिष |

31.  धूमकेतु से डरने का क्या कारण था ? उत्तर :- धूमकेतु से पहले लोग डरते थे क्योंकि उसके बारे में पूरी जानकारी नहीं होती थी ।

32.  न्यूटन के प्रमुख सिद्धांत का क्या नाम है ? उत्तर :- गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत ।

33.  धूमकेतु के कितने भाग होते हैं ? उत्तर :- धूमकेतु के तीन भागों में बांटा गया है – i) सिर ii) नाभिक iii) पुछ

34.  धूमकेतु के सिर का घेरा कितना हो सकता है ? उत्तर :- हजारों लाखों किलोमीटर |

35.  धूमकेतु की पूंछ कितनी फैल जाती है ? उत्तर :- 20 करोड़ किलोमीटर तक ।

36.  धूमकेतु की पूंछ सूर्य के किस दिशा में होती है ? उत्तर :- सूर्य के विपरीत दिशा में ।

37.  सभी धूमकेतु किस तरह की कक्षा में सूर्य की परिक्रमा करते हैं ? उत्तर :- अत्याधिक अंडाकार कक्षा में ।

38.  धूमकेतु की पूंछ की रचना कैसे होती है ? उत्तर :- धूमकेतु के नाभिक से निकली हुई गैस सौर - वायू अथवा विकिरण के द दाब से बहुत दूर तक फैलती है और चमकती है ।इसे ही धूमकेतु कब पूछ कहते हैं , कुछ धूमकेतु की पूंछ 20 करोड किलोमीटर तक फैले जाती है ।

39.  धूमकेतु की पूंछ से यदि पृथ्वी गुजर जाए तो क्या होगा ? उत्तर :- धूमकेतु की पूछ से हमारी पृथ्वी गुजर सकती है उसका धरती पर कोई असर नहीं होगा । किसी भी धूमकेतु के पृथ्वी से टकरा जाने की संभावना नहीं के बराबर है । इसलिए इन धूमकेतु से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है ।

40.  धूमकेतु की पूंछ से क्या तात्पर्य है ? उत्तर :- धूमकेतु की पूंछ से तात्पर्य धूमकेतु के नाभिक से निकलने वाली धूली एवं गैसों से है |

41.  धूमकेतु पृथ्वी के लिए भयकारी क्यों है ? उत्तर :- प्राचीन काल में लोगों को धूमकेतु के बारे में पूरी जानकारी ना होने के कारण उन्हें यह कार्य लगता था ।

42.  धूमकेतु सभी ग्रहों में अपवाद क्यों है ? उत्तर :- धूमकेतु को सभी ग्रहों का अपवाद इसलिए कहा जाता है क्योंकि धूमकेतु ग्रहों के समतल के साथ कई अंशों का कोण बनाते हुए परिक्रमा करता है ।

43.  हेली यान द्वारा क्या नई जानकारी मिली हैं ? उत्तर :- नई मिली जानकारी के अनुसार हेली के धूमकेतु का नाभिक 144 किलोमीटर है । इस धूमकेतु से प्रति सेकंड 10 टन धूली और 30 टन गैस उत्सर्जित होती है। जो इसकी लंबी पूंछ का सृजन करती है । हेली का धूमकेतु 2062 ई० में पृथ्वी और सूर्य के समीप आ जाएगा ।

44.  आकाश के राक्षस पुस्तक किसने लिखी ? उत्तर :- आम्रोई पेरी ।

45.  धूमकेतु क्या है ? उत्तर :- धूम का अर्थ है धुआ और केतु का अर्थ पताका ।इसलिए आकाश का जो दृश्य धुए का पताका जैसा दिखता है उसे धूमकेतु या पुच्छल तारा कहते हैं ।

46.  तीखे ब्राहे ने 1857 ई0 में क्या सिद्ध किया था ? उत्तर :- यूरोप के महान ज्योतिष तीखे ब्राहे ने पहली बार 1577 ईस्वी में सिद्ध किया कि धूमकेतु पृथ्वी से बहुत दूर होते हैं और चंद्रमा से भी अधिक दूर ।

47.  कैसे धूमकेतुओ को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है ? उत्तर :- जो सूर्य के नजदीक भ्रमण करते हैं वैसे धूमकेतु को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है जैसे भी  विएला धूमकेतु ।

48.  उल्काओ के वर्षा के स्रोत क्या है ? उत्तर :- जो धूमकेतु सूर्य के नजदीक से परिक्रमा करते हैं वह अंत में नष्ट हो जाते हैं और पृथ्वी जब उनके समीप से गुजरती है तो वायुमंडल में मूल गांव की वर्षा होती है ।

49.  जापान ने हेली के धूमकेतु के पास कितने यान भेजे हैं ? उत्तर :-  दो यान

50.  धूमकेतु की पूंछ कैसी दिखती है ? उत्तर :- चमकीली ।

B. Broad Questions : 

1. प्राचीन काल में धूमकेतु के बारे में क्या धारणा थी? अथवा ; हेली इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंचे कि धूमकेतु सौरमण्डल के सदस्य हैं ।

उत्तर:- प्राचीनकाल में ऐसी अवधारणा थी कि धूमकेतु का दर्शन बड़ा ही अशुभ एव अमंगलकारी होता है। लोग इसे विनाशक मानकर डरते थे। प्राचीन ग्रंथों में इस बात की जानकारी मिल जाती है कि धूमकेतु जब दिखाई पड़े तो पृथ्वी पर अशुभ घटनाएँ होती हैं । विश्व के प्राय: समस्त देशों में इसे भयावह एवं अमंगलकारी माना जाता है। पर वैज्ञानिक शोध के द्वारा हमें इस अवधारणा से मुक्ति मिल गई है कि ये डरावने नहीं हैं, हैं अमंगलकारी नहीं है। ये भी अन्य ग्रहों की ही तरह हैं। धूमकेतुओं के प्रति व्याप्त हमारी अवधारणा को पन्द्रहवीं शताब्दी में एडमंड हेली ने अपने शोध के द्वारा हमें धूमकेतुओं के बारे में नयी जानकारी से अवगत कराया और हमारी गलत अवधारणा को समाप्त किया । हेली ने इस जानकारी का अध्ययन किया और माना कि सन् 1531 और 1607 में धूमकेतु दिखाई दिया था। सन् 1682 में स्वयं उन्होंने धूमकेतु को देखा था। हेलो ने सोचा कि सभी ग्रह सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण उसकी परिक्रमा करते हैं और एक निश्चित अवधि में अपना चक्कर पूरा करते हैं। धूमकेतु भी एक ग्रह है. इसे भी एक निश्चित अवधि के बाद आकाश में दिखाई देना चाहिए। हेली 1531, 1607 और 1682 में दिखाई दिए जाने वाले धूमकेतुओं पर विचार करके इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यह एक ही धूमकेतु है 75, 76 वर्षों का अन्तर है अतः धूमकेतु भी सौर मंडल के सदस्य हैं और सौर मंडल की सीमाओं का चक्कर गा 75 या 76 वर्ष में वही सूर्य के पास लौटता है। धूमकेतुओं के बारे में जो जानकारी मिली है उसके अनुसार धूमकेतु भी सौरमंडल के सदस्य हैं, अन्य ग्रहों को तरह ये भी सूर्य की परिक्रमा करते हैं। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। इससे हमें डरने की कोई जरूरत नहीं है। अभी भी उनके बारे में हमें पूर्ण जानकारी नहीं है इसके लिए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी जापान एवं अन्य विकसित देशों ने अपने यान प्रक्षेपित किए है। इससे हमें और अधिक एवं प्रामाणिक जानकारी मिलेगी।2. धूमकेतु’ शीर्षक निबंध में निहित उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – ‘धूमकेतु’ शीर्षक निबंध में निहित उद्देश्य :- ‘धूमकेतु’ शब्द दो शब्दों से बना है, ‘धूम’ और ‘केतु’। ‘धूम’ का अर्थ है धुआँ और ‘केतु’ का अर्थ है पताका। इसलिए आकाश में जो दृश्य धुएँ की पताका जैसा दिखाई देता है, उसे धूमकेतु कहा जाता है। धूमकेतु को ‘पुच्छल तारा’ भी कहते हैं। पाश्चात्य ज्योतिष में धूमकेतु को ‘कॉमेट’ कहते हैं। यह शब्द यूनानी भाषा के ‘कोमते’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है ‘लंबे बालों वाला’ । महाभारत में धूमकेतु के बारे में कहा गया है – ‘महाभयंकर धूमकेतु जब पुष्य नक्षत्र के पार पहुँचेगा तो भयंकर युद्ध होगा।‘ इस प्रकार पुराने जमाने में धूमकेतु को भयंकर ख़तरे का सूचक समझा जाता था। धूमकेतुओं से दूसरे देशों के लोग भी बहुत डरते थे। सन् 1528 ई० में यूरोप के आकाश में एक धूमकेतु प्रकट हुआ। जिसके डर से कई लोग मर गए और बहुत से बीमार पड़ गए।

लेकिन अब घूमकेतुओं से कोई डरता नहीं है और न कोई बीमार पड़ता है। यूरोप के महान ज्योतिषी तीखे ब्राहे ने पहली बार सन् 1577 ई० में सिद्ध किया कि धूमकेतु पृथ्वी से बहुत दूर होते हैं, चन्द्रमा से भी अधिक दूर होते हैं। सर आइजक न्यूटन के एक मित्र एडमंड हेली ने बताया कि ग्रहों की तरह धूमकेतु पृथ्वी से बहुत दूर होते हैं, एडमंड हेली ने बताया कि ग्रहों की तरह धूमकेतु भी हमारे सौर मंडल के सदस्य हैं और ये सूर्य की परिक्रमा करते हैं। हेली ने 1531, 1607 और 1682 में दिखाई दिए धूमकेतुओं पर विचार किया। इनमें 76 और 75 साल का अन्तर है। हेली इस नतीजे पर पहुँचे कि यह वास्तव में एक ही धूमकेतु है और सौर मंडल में चक्कर लगाकर 75 या 76 साल में पुनः सूर्य के पास लौटता है और सचमुच सन् 1758 ई० में आकाश में वह धूमकेतु प्रकट हुआ। इस तरह लेखक का उद्देश्य धूमकेतु के बारे में जानकारी देकर हमें यह बताना है कि धूमकेतु से हमें डरने की आवश्यकता नहीं है। यह एक खगोलीय घटना है।

3. धूमकेतु पाठ का सारांश सबसे शब्दों में लिखिए । अथवा ; धूमकेतु के बारे में नवीन जानकारी क्या मिली ।

गुणाकर मुले द्वारा रचित ‘धूमकेतु’ निबंध विज्ञान को साहित्य में सम्मिलित करने का एक सजीव चेष्टा है। प्रस्तुत निबंध में धूमकेतु और उसकी रचना प्रक्रिया का वैज्ञानिक विश्लेषण किया गया है।

धूमकेतु दो शब्दों के मेल से बना है ‘धूम’ और ‘केतु’ ‘धूम’ का अर्थ है धुंआ और ‘केतु’ का अर्थ है पताका । इसीलिए आकाश का जो दृश्य धुएं की पताका जैसा दिखाई देता है उसे धूमकेतु नाम दिया गया है। ‘धूमकेतु’ को ‘पुच्छल तारा भी कहा जाता है। पाश्चात्य ज्योतिष धूमकेतु को ‘कॉमेट’ के नाम से अभिहित किए है। धूमकेतु शब्द अत्यंत प्राचीन है। अथर्ववेद में धूमकेतु व उल्का शब्द आते है। महाभारत में धूमकेतु को महाभयंकर कहा गया है।

यूरोप के महान ज्योतिषी ‘तीखे ब्राहे’ ने पहली बार 1577 ईस्वी में सिद्ध किया कि ‘धूमकेतु पृथ्वी एवं चंद्रमा से बहुत दूर होते है। धूमकेतुओं का अध्ययन करते हुए हेली इस परिणाम पर पहुंचे कि ग्रहों की तरह धूमकेतु भी हमारे सौर मंडल के सदस्य हैं और यह सूर्य की परिक्रमा करते है। हेली ने 1531, 1607 और 1682 में दिखाई दिए धूमकेतु पर विचार किया। इन सब में 76 और 75 साल का अंतर है। वह इस नतीजे पर पहुंचे कि यह वास्तव में एक ही धूमकेतु है जो सौरमंडल की 75 या 76 सालों में चक्कर लगाकर वापस लौटता है- “यदि मेरी बात ठीक है, तो 76 साल बाद 1758 ई. में यह धूमकेतु पुनः प्रकट होगा।“ हेली की भविष्यवाणी सच निकली।

धूमकेतु के तीन भाग होते हैं- नाभिक, सिर और पूँछ। धूमकेतु का अधिकांश द्रव्य इसके नाभिक में होता है। नाभिक का व्यास आधे किलोमीटर से 50 किलोमीटर तक हो सकता है। धूमकेतु के नाभिक बर्फ से बनी हुई गैसों तथा अन्य पदार्थों के टुकड़ों के मेल से बने होते हैं। धूमकेतु जब सूर्य के समीप पहुंचता है तो सूर्य के ताप से यह गर्म हो जाता है और इसकी बर्फीली गैसें धूलि – कर्ण बाहर निकलते है। इससे सूर्य के सामने नाभिक की गैसें फैलकर चमकने लगती है और इस प्रकार धूमकेतु का सिर बनता है।

धूमकेतु के सिर का घेरा हजारों-लाखों किलोमीटर हो सकता है। सूर्य से धूमकेतु की दूरी के अनुसार यह सिर भी घटता बढ़ता रहता है। धूमकेतु के नाभिक से निकली हुई गैसें सौं वायु तथा विकिरण के दाब से बहुत दूर तक फैलती है और चमकती है। इसे ही धूमकेतु की पूंछ हैं कहते हैं कुछ धूमकेतु करोड किलोमीटर तक फैल जाती है।

सभी धूमकेतु अत्यधिक अंडाकार कक्षा में सूर्य की परिक्रमा करते हैं। ‘धूमकेतु ग्रहों के समतल के साथ कई अंशों का कोण बनाते हुए परिक्रमा करते हैं। ‘बीएला का धूमकेतु’ जैसे कुछ धूमकेतु बहुत छोटी अंडाकार कक्षा में सूर्य की परिक्रमा करते हैं, ऐसे धूमकेतु 3 से 10 साल के भीतर ही सूर्य की एक परिक्रमा कर लेते हैं। परंतु सूर्य के प्रभाव से जल्दी ही समाप्त हो जाते हैं। धूमकेतु नजदीक से सूर्य की परिक्रमा करते हैं, वे अंत में नष्ट होते जाते हैं और पृथ्वी जब उनके समीप से गुजरती है तो वायुमंडल में उल्काओं की वर्षा होती है। सारे धूमकेतु अत्यंत चपटी अंडाकार कक्षाओं में सूर्य की परिक्रमा करते हैं।

सन 1985 तक धूमकेतुओं का अध्ययन धरती की वेधशाला से ही होता है। मगर 1985-86 में जब हेली का धूमकेतु पृथ्वी के नजदीक आया तो उसके नजदीक अंतरिक्षयान भेजने की योजनाएं बनी। सोवियत संघ ने भी है वीहे (वीनस हेली) नामक दो यान भेजें। ये दोनों यान पहले शुक्र विनस ग्रह के पास पहुंचे और फिर हेली के धूमकेतु के पास इसलिए इन्हें ‘वीहे’ नाम दिया गया। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने जो यान हेली के धूमकेतु के पास भेजा, उसका नाम जोतो था । जापान ने भी अपने दो यान हेली के धूमकेतु के नजदीक भेजें।

नई जानकारी के अनुसार हेली के धूमकेतु का नाभिक 16X9 किलोमीटर है। इस धूमकेतु के प्रति सेकंड 10 टन धूली और 30 टन गैसे उत्सर्जित होती है जो इसकी लंबी पूँछ सृजन करती है। उसका चक्रण काल करीब 54 घंटे है। हेली का धूमकेतु 2062 ईस्वी में पुनः पृथ्वी और सूर्य के समीप आएगा। तब इसके नजदीक मानव को भी भेजना संभव होगा।

No comments:

Post a Comment

इसे जरूर देखे !!!

The North Ship || Class 9 || Lesson 9 || All Stanza || Text || || Explanations || Summary || Hindi Translation || Word Meaning || Solution || Extra Question ||

Class 9  Lesson 9 The North Ship The author and the text: Philip Larkin Philip Arther Larkin ( 1922 - 1985) was a renowned English poet and ...

सबसे ज्यादा देखा गया !!!