Monday, February 27, 2023

आत्मत्राण - रवींद्रनाथ टैगोर

 

आत्मत्राण

रवींद्रनाथ टैगोर

आत्मत्राण कविता से संबंधित महत्वपूर्ण ऽort Question

1.      आत्मत्राण कविता किस प्रकार की कविता है ? उत्तर:- प्रार्थना गीत ।

2.      रविंद्र नाथ टैगोर को किस सम्मान से पुरस्कृत किया गया था ? उत्तर:- नोबेल पुरस्कार ।

3.      किस रचना के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया ? उत्तर:- गीतांजलि ।

4.      आत्मत्राण कविता में कवि विपदा में क्या नहीं पाना चाहता है ? उत्तर:- भय ।

5.      आत्मत्राण कविता की मूल भाषा क्या है ? उत्तर:- बंगला ।

6.      रविंद्र नाथ टैगोर का जन्म कब हुआ ? उत्तर:- 6 मई 1861 ।

7.      रविंद्र टैगोर की मृत्यु कब हुई ? उत्तर:-  7 अगस्त 1941 ।

8.      क्षणिका किसकी रचना है ? उत्तर:- रविंद्र नाथ टैगोर ।

9.      आत्मत्राण कविता किस कोटि की है ? या आत्मत्राण कविता किस प्रकार की कविता है ? उत्तर:- प्रार्थना गीत है ।

10.    कवि ईश्वर से क्या चाहता है ? उत्तर:-कवि ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वह उन्हें विपत्ति में कभी ना डरने की शक्ति प्रदान करे ।

11.    कवि कब ईश्वर संशय न करने की प्रार्थना करता है ? उत्तर:-  कवि ईश्वर से प्रार्थना करता है कि जब उनके जीवन में दुख की रात्रि आए तब भी वह ईश्वर पर संशय ना करें।

12.    कवि भगवान से क्या प्रार्थना कर रहा है ? उत्तर:- कवि भगवान से प्रार्थना करते हैं कि उन्हें वह शक्ति प्रदान करें जिससे वह विपत्ति में कभी ना घबराए ।

13.    दुख ताप से व्यतीत ह्रदय के लिए कवि ईश्वर से क्या मांग रहा है ? उत्तर:- दुख सहने की शक्ति ।

14.    आत्मत्राण शीर्षक कविता का मूल भाव क्या है ? उत्तर:- प्रभु कवि को दुख से लड़ने की शक्ति दे। यही इस कविता का मूल भाव है।

15.    कवि सुखमय दिनों में क्या करना चाहता है ? उत्तर:- ईश्वर का नाम स्मरण ।

16.    दुखों से गिरने की स्थिति में कवि क्या चाहता है ? उत्तर:- प्रभु उन्हें दुख से लड़ने की शक्ति दे ।

17.    संगीत के क्षेत्र में किस नाम से गान और नित्य की धारा प्रवाहित हो रही है ? उत्तर:- रविंद्र संगीत ।

18.    रविंद्र नाथ टैगोर ने किसकी स्थापना की थी ? उत्तर:- विश्व भारती विद्यालय ।

19.    रविंद्र नाथ टैगोर का जन्म कहां हुआ था ? उत्तर:- बंगाल में ।

20.    आत्मत्राण कविता का हिंदी में अनुवाद किसने किया ? उत्तर:- हजारी प्रसाद द्विवेदी ।

21.    रविंद्र नाथ टैगोर की मूल भाषा क्या थी ? उत्तर:- बंगला ।

22.    विपत्ति में कवि किसीसे निर्भीकता मांगता है ? उत्तर:-  प्रभु से ।

23.    रविंद्र टैगोर के पिता का क्या नाम था ? उत्तर:- देवेंद्र नाथ टैगोर ।

24.    नोबेल पुरस्कार पाने वाले प्रथम भारतीय का क्या नाम  है ? उत्तर:- रविंद्र नाथ टैगोर ।

25.    आत्मत्राण किस विधा की रचना है ? उत्तर:- कविता ।

26.    करुणामय किसे कहा गया है ? उत्तर:- प्रभु ।

27.    आत्मत्राण कविता में कवि किससे कभी भय नहीं पाना चाहता ? उतर :- विपत्ति से ।

28.    कवि रवींद्रनाथ ठाकुर प्रभु से परंपरा के विपरीत क्या निवेदन कर रहे हैं ? उत्तर:-  कवि रविंद्र नाथ ठाकुर प्रभु से परंपरा के विपरीत निवेदन करते हैं कि जब उनके जीवन में मुसीबत आए तो उनकी रक्षा ना करें बल्कि उससे लड़ने की शक्ति प्रदान करें।

29.    रविंद्र नाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार से कब सम्मानित किया गया ? उत्तर:-  1913 ईस्वी

30.    कवि रविंद्र नाथ ठाकुर सुख के दिन में परमात्मा के प्रति कैसा भाव रखते हैं ? उत्तर:- कवि सुख के दिन में परमात्मा के प्रति विनय तथा आस्था का भाव रखना चाहता है ।

 

Long question

1.   आत्मत्राण कविता के माध्यम से कवि ईश्वर से क्या प्रार्थना करते हैं ?

उत्तर:- आत्मत्राण कविता में कवि भगवान से सब कुछ सहन करने की असीम क्षमता मांगते हैं। वह नहीं चाहते कि प्रभु उनका सारा कार्य करे । कवि प्रभु से कामना करते हैं कि हे प्रभु आप मुझे विपत्ति से बचाव मैं यह नहीं चाहता लेकिन आप मुझे इतनी शक्ति अवश्य देना जब मेरे जीवन में मुसीबत आए तो मैं उससे कभी ना भयभीत होऊ । कवि प्रभु से कामना करते हैं कि वह उनके के जीवन में व्याप्त विपत्तियों तथा कष्टों को दूर ना करें बल्कि उनको उन विपत्तियों से लड़ने की क्षमता प्रदान करें। वह कहते हैं कि प्रभु आप दुख से पीड़ित मेरे मन को शांत ना करें बल्कि आप उस कष्ट को सहन करने की शक्ति प्रदान करें । वह प्रभु से प्रार्थना करते हैं कि इस दुनिया में मेरी सहायता करने वाला कोई ना हो तो भी मेरा आत्मबल कभी कम ना हो । इसी के सहारे मैं दुख को पार कर पाऊं क्योंकि इस संसार में आप से बड़ा कोई बल नहीं । कवि भगवान से आग्रह करते हैं कि वह उनके जीवन में आने वाली मुसीबतों का भार  कम ना करें बल्कि उसको वहन करने की शक्ति अवश्य प्रदान करें । वह भगवान से प्रार्थना करते हैं कि हे प्रभु जब मेरे जीवन में सुख हो तो भी सिर झुका कर हर क्षण आपकी छवि देखू हर सुख को आपकी कृपा मानू । वह आगे कहते हैं यदि मेरा नुकसान भी हो जाए तो मैं उसे अपनी छती ना मानु। यदि मेरे दुखों का भार बढ़ जाए तो उसको मैं खुद ही सह सकूं इतनी शक्ति अवश्य देना वह कहते हैं कि जब संसार मुझे धोखा दे तब भी मेरा विश्वास आप पर सदा बना रहे। मैं आप पर कभी संदेह ना करूं ।

इस प्रकार आत्मत्राण कविता के माध्यम से कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने ईश्वर से असीम शक्ति देने की प्रार्थना की है जिससे वह अपने जीवन में आने वाली कठिनाइयों का स्वयं निपटारा कर सके जीवन में कई भयभीत ना हो ।

 

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