Tuesday, December 20, 2022

ग्रह रूप में पृथ्वी Class - 9 Lesson -1 All Question answers

 ग्रह रूप में पृथ्वी


A. Short Answer Questions :

1. सौर परिवार में ग्रहों की कुल कितनी संख्या है ? Ans :- आठ।

2. पृथ्वी का आकार कैसा है ? Ans :- पृथ्वी की तरह अर्थात् पृथ्व्याकार।

3. उत्तरी ध्रुव पर ध्रुव तारे की कोणिक ऊँचाई कितनी रहती है ? Ans :- 90°

4. बुध अपना घूर्णन कितने दिनों में पूरा करता है? Ans :- 58.65 दिनों में।

5. किसी एक गैसीय ग्रह का नाम लिखिए। Ans :- बृहसति ।

6. किस ग्रह के चारों ओर वलय पाया जाता है? Ans :- शनि ग्रह के चारो ओर वलय पाया जाता है।

7. सूर्य की परिक्रमा पूरी करने में पृथ्वी को कितने दिन लगते हैं? Ans :- 365 दिन 5 घण्टे 48 मिनट।

8. पृथ्वी का ध्रुवीय व्यास कितना है ? Ans :- 12714 कि०मी०

9. पृथ्वी का विषुवत रेखीय व्यास कितना है ? Ans :- 12757 कि०मी०

10. सूर्य से पृथ्वी की दूरी कितनी है? Ans :- 149407000 कि०मी० (लगभग 15 करोड़ कि०मी०)

11. पृथ्वी से चन्द्रमा की औसत दूरी कितनी है ? Ans :- 384365 कि०मी० (लगभग 4 लाख कि०मी०)

12. शुक्र के वायुमण्डल में किस गैस की मात्रा सबसे अधिक है? Ans :- कार्बन डाई ऑक्साइड गैस की।

13. कौन ग्रह घड़िवत दिशा में सूर्य की परिक्रमा करता है ?Ans :- अरुण ग्रह।

14. किन ग्रहों के कोई उपग्रह नहीं हैं? Ans :- बुध एवं शुक्र ग्रह के कोई उपग्रह नहीं है।

15. ग्रह किसके प्रकाश से प्रकाशित होते हैं ? Ans :- नक्षत्र के प्रकाश से।

16. पृथ्वी की अनुमानित आयु कितनी है ? Ans :- 4 अरब 60 करोड़ वर्ष ।

17. पृथ्वी का निकटतम ग्रह कौन है ? Ans :- शुक्र ग्रह ।

18. सर्वप्रथम किसने पृथ्वी को गोलाकार बताया ? Ans :- यूनानी दार्शनिक पाइथागोरस ने।

19. भूमध्यरेखा पर ध्रुवतारे की कोणिक ऊँचाई कितनी रहती है ? Ans :- शून्य अंश।

20. पृथ्वी की किस गति के कारण भूमध्यरेखीय भाग में फैलाव तथा ध्रुवीय भाग में पिचकाव आ गया है? 

Ans :- पृथ्वी के परिभ्रमण के कारण।

21. पृथ्वी के सतह का कितना भाग जल से आच्छादित है ?Ans :- लगभग दो तिहाई भाग।

22. सौर परिवार का सबसे छोटा ग्रह है ? Ans :- बुध

23. पृथ्वी के सबसे निकट स्थित ग्रह है ? Ans :- शुक्र

24. सबसे गर्म ग्रह है ? Ans :- शुक्र

25. पृथ्वी का सम्बन्ध निम्नलिखित में से किस आकाशगंगा से है ? Ans :- ऐरावत पथ

26. सौरमण्डल का सबसे बड़ा ग्रह है ? Ans :- वृहस्पति

27. किस ग्रह को लाल ग्रह कहते हैं? Ans :- मंगल

28. पिण्ड जिनमें अपना स्वयं का ताप एवं प्रकाश होता है, कहलाते हैं ? Ans :- नक्षत्र

29. क्षुद्र ग्रह स्थित है ? Ans :- मंगल एवं वृहस्पति के बीच

30. पृथ्वी की सूर्य से औसत दूरी है ? Ans :- लगभग 15 करोड़ कि.मी.

31. सूर्य के सतह का तापमान है ? Ans :- 6000°C

32. पृथ्वी का ध्रुवीय व्यास है ? Ans :- 12714 कि.मी.

33. पृथ्वी का भूमध्यरेखीय व्यास है ? Ans :- 12757 कि.मी.

34. जोवियन ग्रह है ? Ans :- शनि

35. पार्थिव ग्रह है ? Ans :- मंगल

36. पृथ्वी के सतह का औसत तापमान है ? Ans :- 17°C

37. जोवियन का अर्थ है ? Ans :- वृहस्पति की तरह 

38. ग्रहों की परिक्रमा करने वाले आकाशीय पिण्ड है ? Ans :- उपग्रह

39. पृथ्वी के घूर्णन की अवधि है ? Ans :- लगभग 24 घण्टे

40. सौर मण्डल का एकमात्र ग्रह जहाँ जीव-जंतुओं एवं वनस्पतियों का अस्तित्व पाया जाता है ? Ans :- पृथ्वी

41. पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है ? Ans :- चन्द्रमा

42. किस ग्रह के चारों ओर एक वलय या छल्ला है ? Ans :- शनि

43. सूर्य की आयु है ? Ans :- लगभग 5 बिलियन वर्ष

44. सोर परिवार का केन्द्रीय पिण्ड है ? Ans :- सूर्य

45. उत्तरी ध्रुव पर ध्रुवतारे की कोणिक ऊँचाई है ? Ans :- 90°

46. पृथा का ओसत अर्द्धव्यास है ? Ans :- 6368 कि.मी.

47. पृथ्वी के सम्पूर्ण धरातल का क्षेत्रफल है ? Ans :- 51 करोड़ 54 लाख वर्ग कि.मी.

48. पृथ्वी के सम्पूर्ण धरातल का क्षेत्रफल है ? Ans :- महाकाश में विष्फोट होने से हुई

49. ग्रहों की संख्या है ? Ans :- 8

50. आकाश से पृथ्वी देखने पर कैसी प्रतीत होती है? Ans :- गोलाकार

51. सबसे पहले किसने पृथ्वी को गोलाकार बताया ? Ans :- पाइथागोरस

52. सबसे पहले किसने बताया कि पृथ्वी न केवल गोल है, अपितु ध्रुवों पर चपटी भी है ? Ans :- आइजक न्यूटन

53. किसने घड़ी के पेण्डुलम का प्रयोग कर बताया कि भूमध्य रेखा पर पृथ्वी का व्यास सर्वाधिक है? Ans :-  रिचर

54. यदि हम एक ही दिशा में चलते जायें तो अन्त में उसी स्थान पर पहुँच जायेंगे, इससे पृथ्वी की आकृति के बारे में क्या सष्ट होता है? 

Ans :- कि पृथ्वी गोलाकार है।

55. कृत्रिम उपग्रह से प्राप्त चित्र से पृथ्वी की आकृति के बारे में क्या स्पष्ट होता है ? 

Ans :- पृथ्वी का केवल दक्षिणी ध्रुव दवा है जबकि उत्तरी ध्रुव नहीं दवा है।

56. किस बौने ग्रह को पहले ग्रह माना जाता था ? Ans :- प्लूटो

57. एक ही वस्तु को विषयुतीय क्षेत्र एवं ध्रुवीय क्षेत्र में वजन करने पर देखा गया कि वस्तु का वजन ध्रुवीय क्षेत्रों में? 

Ans :- अधिक होता है

58. सौर्य व्यवस्था में पृथ्वी की स्थिति अनोखी है क्योंकि ?Ans :- पृथ्वी पर महासागर है।

59. अंतरिक्ष से देखने पर पृथ्वी किस रंग की दिखाई पड़ती है? Ans :- नीला

60. प्रकाश की गति है ? Ans :- 3 लाख किमी /प्रति सेकेण्ड

61. हमें पृथ्वी के बारे में पूरी जानकारी किससे होती है ?Ans :- वैश्विक स्थैतिक तंत्र से

62. किसने सर्वप्रथम बतलाया कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगती है ? Ans :- उपग्रहों से

63. सर्वप्रथम किसने बतलाया कि पृथ्वी सूर्य की एवं स्वयं अपना चक्कर लगाती है? Ans :- कोपरनिकस

64. पृथ्वी के स्वल भाग का सर्वोच्च भाग क्या है ? Ans :- माउण्ट एवरेस्ट

65. पृथ्वी का सबसे गहरा भाग ? Ans :- मरियाना खड्ड

66. पृथ्वी के ध्रुवीय एवं विषुवतीय व्यास में अन्तर ? Ans :- 43 किमी

67. GPS का कुल अंश ? Ans :- 3

68. पृथ्वी के गोलाकार होने का प्रत्यक्ष प्रमाण क्या है ? Ans :- महाकाश से पृथ्वी का लिया गया चित्र

69. वर्तमान में बौने ग्रहों की संख्या कितनी है? Ans :- 5


B. Short Questions :


1. पृथ्वी को नीला ग्रह क्यों कहते हैं ? 

Ans :- पृथ्वी पर जल की अधिकता के कारण अंतरिक्ष से लिए गए चित्रों में यह नीले रंग की दिखाई पड़ती है इसीलिए इसे नीला ग्रह (Blue plant) कहते हैं।

2. मंगल को लाल ग्रह क्यों कहते हैं ? 

Ans :- मंगल ग्रह लौहयुक्त धूल की परतों से ढँका होने के कारण लाल एवं चमकीला दिखाई देता है। इसलिए इसे लाल ग्रह (Read planet) कहते हैं।

3. शुक्र बुध से भी अधिक गर्म क्यों है? 

Ans :- सूर्य से दूरी के क्रम में शुक्र का स्थान बुध के बाद दूसरा है परन्तु यह बुध से अधिक गर्म है क्योंकि इसके वायुमण्डल में 90-95 प्रतिशत कार्बन डाई ऑक्साइड गैस है। इस कार्बन डाई ऑक्साइड गैस के कारण हरित गृह प्रभाव उत्पन्न होता है जिससे यहाँ सतह का तापमान बहुत ऊँचा रहता है तथा रात एवं दिन का तापमान लगभग समान रहता है ।

4. पृथ्वी एवं शुक्र को जुड़वाँ ग्रह क्यों कहते हैं? 

Ans :- पृथ्वी एवं शुक्र का आकार लगभग बराबर है इसीलिए इन दोनों ग्रहों को जुड़वाँ ग्रह (Twin Planet) कहते हैं।

5. पृथ्वी को चपटा उपगोल क्यों कहते हैं? 

Ans :- पृथ्वी गोल आकार की है परन्तु अपने दोनों सिरों अर्थात् ध्रुवों पर चपटी है इसीलिए इसे चपटा उपगोल कहते हैं।

6. आप क्या सोचते हैं, पृथ्वी गोल है इसे प्रमाणित करने के लिए अन्य प्रमाणों की आवश्यकता नहीं है? 

Ans :- चन्द्रमा तथा अन्य कृत्रिम उपग्रहों पर जाने वाले अन्तरिक्ष यात्रियों द्वारा पृथ्वी के लिए गये कैमरा चित्र पूर्णत प्रमाणित करते हैं कि पृथ्वी गोल है। अतः पृथ्वी को गोल प्रमाणित करने के लिए अन्य प्रमाणों की आवश्यकता नहीं है।

7. चपटा उपगोल (Oblate spheroid) से आप क्या समझते हैं? 

Ans :- ऐसा गोला जो दोनों विपरीत सिरों पर कुछ चपटा हो, चपटा उपगोल कहलाता है। पृथ्वी भी चपटा उपगोल है क्योंकि यह अपने दोनों ध्रुवों पर चपटी है।

8. नक्षत्र या तारा किसे कहते हैं ? 

Ans :- नक्षत्र या तारा विशाल आकाशीय पिण्ड है। जिनका निर्माण आकाश गंगा में निहित बादलों से होता है। ये अपने स्थान पर ही घुर्णन करते रहते हैं तथा इनसे निरन्तर ऊर्जा का उत्सर्जन होता रहता है।

9. ग्रह किसे कहते हैं? 

Ans :- सूर्य के चारो ओर चक्कर लगाने वाले गोलाकार पिण्डों को ग्रह कहते हैं।

10. उपग्रह किसे कहते हैं ? 

Ans :- ग्रहों की परिक्रमा करने वाले अपेक्षाकृत छोटे गोलाकार पिण्डों को उपग्रह कहते हैं। उपग्रहों का जन्म ग्रहों से हुआ है। उपग्रहों की संख्या 65 है। उपग्रहों में भी अपना प्रकाश नहीं होता है। ये भी सूर्य के प्रकाश से ही प्रकाशित होते हैं |

11. क्षुद्र ग्रह से आप क्या समझते है? 

Ans :- ये छोटे-छोटे आकाशीय पिण्ड है जो मंगल एवं वृहस्पति ग्रह के बीच में स्थित हैं। इनकी संख्या लगभग 45000 है तथा ये आकार में चन्द्रमा से भी काफी छोटे हैं।

12. घूमकेतु क्या है? 

Ans :- ये आकाशीय धूलकण मेरा हिमकण आदि पदार्थों से निर्मित आकाशीय पिण्ड हैं जो सूर्य की परिक्रमा करते रहते हैं। सूर्य के निकट आने पर सूर्य की ओर स्थित भाग के पदार्थों के वाष्पीकरण से इसके सिर का निर्माण होता है तथा इसका पिछला भाग पूँछ की तरह सूर्य से दूर रहता है। इसे पुच्छल तारा भी कहते हैं।

13. पार्थिव ग्रह कौन-कौन हैं? 

Ans :- बुध, शुक्र तथा मंगल पार्थिव ग्रह है क्योंकि पृथ्वी की तरह ठोस है ।

14. जोबियन ग्रह कोन कोन हैं? 

Ans :- बृहस्पति, शनि, यूरेनस तथा नेप्च्युन जोवियन ग्रह हैं क्योंकि ये सभी बड़े आकार के ग्रह हैं।

15. सौर मण्डल क्या है ? 

Ans :- सूर्य सूर्य से उत्पन्न ग्रह ग्रहों से उत्पन्न उपग्रह धूमकेतु तथा उल्काएँ मिलकर एक परिवार बनाते हैं, जिसे सौर परिवार (Solar Family) या सौर मण्डल (Solar System) कहते हैं। सूर्य सौर परिवार का केन्द्रीय पिण्ड है।

16. सौर मण्डल में कुल कितने ग्रह हैं ? सूर्य से दूरी के क्रम में इनका नाम लिखिए। 

Ans :- सौर मण्डल में कुल आठ ग्रह हैं। सूर्य से दूरी के क्रम में ये निम्नलिखित हैं- बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगत, वृहस्पति, शनि, यूरेनस तथा नेप्च्युन ।

17. G.P.S. (Global Positioning System) क्या है ?

Ans :- G.P.S. अर्थात् Global Positioning system पृथ्वी पर किसी स्थान की स्थिति की जानकारी का सबसे विश्वसनीय साधन है। इसका उपयोग करनेवाले नाविकों को पृथ्वी पर अपनी सही स्थिति का ज्ञान तो होता ही रहता है इसके साथ-साथ उनकी अगली सही स्थिति क्या होगी इसकी भी जानकारी उन्हें प्राप्त होती रहती है। G.PS रिसीवर की सहायता से उपग्रहों से भेजी गयी सूचनाओं को प्राप्त किया जाता है।


C. Broad Questions :


Q-1. पृथ्वी एवं अन्य ग्रहों तथा उपग्रहों की उत्पत्ति के विषय में आप क्या जानते हैं ? (What do you know about the origin of the earth and other planets and satellites?) 5

Ans :- पृथ्वी एवं सौर परिवार के अन्य ग्रहों की उत्पत्ति के विषय में भिन्न-भिन्न विद्वानों ने भिन्न-भिन्न मत प्रकट किये हैं। परन्तु इनमें जेम्स जीन्स की 'ज्वारीय परिकल्पना' को अधिक मान्यता मिली है। इस सिद्धान्त के अनुसार प्रारम्भ में सूर्य गैस का एक बहुत बड़ा गोला था। अरबों वर्ष पहले सूर्य का एक साथी तारा अपने पथ के सहारे घूमते हुए सूर्य की ओर आने लगा। जिस प्रकार पृथ्वी के निकट चन्द्रमा के आ जाने से पृथ्वी के महासागरों में ज्वार आ जाता है और उसका पानी चन्द्रमा की ओर उठ जाता है, उसी प्रकार इस विशालकाय तारे के पास आने पर उसकी आकर्षण शक्ति के प्रभाव से सूर्य में ज्वार उत्पन्न होने लगा और हजारों किलोमीटर लम्बा सिगरेट के आकार का वायव्य (गैसीय) भाग सूर्य से अलग होकर साथी तारे की ओर बढ़ने लगा। जब तक सूर्य से टूटा हुआ यह फिलामेण्ट सूर्य की आकर्षण शक्ति के बाहर हुआ तब तक साथी तारा इतना दूर चला गया कि उसके आकर्षण का प्रभाव टूटे हुए फिलामेण्ट पर नहीं रह गया। फलस्वरूप सिगार के आकार का यह फिलामेण्ट सूर्य का चक्कर लगाने लगा। इस फिलामेण्ट के मध्य का भाग अधिक मोटा था तथा दोनों किनारों वाले भाग अधिक पतले थे।

धीरे-धीरे यह फिलामेण्ट ठण्डा होने लगा जिससे वह आकार में सिकुड़ता गया। फलस्वरूप यह फिलामेण्ट कई टुकड़ों में बँट गया। प्रत्येक भाग घनीभूत होकर ग्रह के रूप में बदल गये। इस प्रकार पृथ्वी तथा अन्य ग्रहों की उत्पत्ति हुई। इसी विधि से सूर्य की आकर्षण शक्ति के प्रभाव से ग्रहों पर भी ज्वार उत्पन्न होने लगे जिससे ग्रहों के भी कुछ भाग उनसे अलग हो गए। इनके घनीभूत होने से उपग्रह बन गए।


Q-2. (a) सौर परिवार किसे कहते हैं ? (What do you mean by Solar system?) (b) ग्रहों एवं उनके उपग्रहों का संक्षेप में वर्णन कीजिए। (Give a brief account of planets and their satellites) (c) तारों (नक्षत्रों) एवं ग्रहों में क्या अन्तर है ? (Distinguish between Stars and Planets) (d) ग्रहों की श्रेणी से प्लूटो ग्रह के निष्कासन के क्या कारण हैं? (What are the reasons to expect of the pluto from the series of the planets ? ) 2+5+3+2 

Ans :- (a) सौर मण्डल (Solar system) : हम जानते हैं कि सूर्य से ग्रहों की तथा ग्रहों से उपग्रहों की उत्पत्ति हुई है। इस प्रकार सूर्य, उससे उत्पन्न नौ ग्रह तथा इन ग्रहों से उत्पन्न 65 उपग्रह मिलकर एक परिवार बनाते हैं जिसे सौरमण्डल, सौर परिवार या सौर जगत (Solar system) कहते हैं। 

(b) सौर मण्डल में आठ ग्रह हैं। सूर्य से दूरी के अनुसार उनका क्रम इस प्रकार है - बुध (Mercury), शुक्र (Venus), पृथ्वी (Earth), मंगल (Mars), वृहस्पति (Jupiter) शनि (Saturn), अरुण (Uranus) तथा वरुण (Neptune)। इनमें बुध, सूर्य से सबसे निकट तथा वरूण सबसे अधिक दूरी पर स्थित है। पृथ्वी से शुक्र सबसे निकट तथा वरुण सबसे दूरी पर स्थित है।

हम जानते हैं कि ग्रहों की उत्पत्ति सूर्य से निकलने वाले सिगार के आकार के ज्वारीय फिलामेंट से हुई है। यह फिलामेण्ट बीच में चौड़ा तथा किनारों की तरफ पतला था। अतः जब इस फिलामेण्ट के टूटने से ग्रहों का निर्माण हुआ तो बड़े ग्रह बीच में तथा छोटे ग्रह किनारों की ओर बने । अतः आकार में बृहस्पति सबसे बडा तथा बुध सबसे छोटा ग्रह है। सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर घड़ी की सूई की विपरीत दिशा में (Anti clockwise) घूमा करते हैं। केवल अरुण (Uranus) ग्रह ही घडीवत् (Clockwise) दिशा में सूर्य के चारों ओर घूमा करता है।

अधिकांश ग्रहों के उपग्रह भी हैं जो अपने ग्रहों की परिक्रमा किया करते हैं। बड़े ग्रहों के उपग्रह संख्या में अधिक तथा आकार में छोटे हैं। मध्यम आकार वाले ग्रहों के उपग्रह संख्या में कम परन्तु आकार में बड़े हैं। किनारों वाले छोटे ग्रहों के उपग्रह नहीं है। वृहस्पति के 16, शनि के 23, यूरेनस के 5, मंगल व नेपच्यून के दो-दो उपग्रह हैं। पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चन्द्रमा है। बुध शुक्र एवं प्लूटो के पास एक भी उपग्रह नहीं हैं।

(c) नक्षत्रों एवं ग्रहों में अन्तर (Distinguish between Stars and Planets)—

नक्षत्र या तारा (Star)

ग्रह (Planet)

1. ये ब्रह्माण्ड के विशाल पिण्ड हैं। इनकी उत्पत्ति नीहारिका के ठण्डा होकर घनीभूत होने से हुई है।

1. इनकी उत्पत्ति सूर्य से हुई है। अतः ये आकार में तारों से छोटे हैं।

 

2. इनमें अपना निज का प्रकाश एवं ताप होता है।

2. ये सूर्य से प्रकाश एवं ताप प्राप्त करते हैं।

3. इनका प्रकाश स्थिर नहीं होता। ये टिमटिमाते हैं।

3. इनका प्रकाश स्थिर होता है।

4. नक्षत्र अपने सौरमण्डल के साथ अपनी आकाश गंगा की परिक्रमा करते हैं।

4. सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं।

 

(d) ग्रहों की श्रेणी से प्लूटो ग्रह के निष्कासन का कारण (Couses of the expect of the pluto from the series of the planets) - ग्रह की स्पष्ट वैज्ञानिक परिभाषा के अभाव में अन्य आठ ग्रहों से भिन्नता रखने के बावजूद भी सन् 1930 से प्लूटो नौवें ग्रह के रूप में स्थापित था। वैज्ञानिक खोजों के फलस्वरूप जब सौर मण्डल में कई नए पिण्ड खोजे गए तो उनकी पहचान के साथ प्लूटो की ग्रहीय परिकल्पना पर सवाल खड़े होने लगे। अंतर्राष्ट्रीय खगोल संघ द्वारा गठित समिति ने ग्रहों की निम्नलिखित नवीन परिभाषा दी है - (i) अब वही खगोलीय पिण्ड ग्रह कहलाएंगे जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं। (ii) अपने स्वयं के गुरुत्वाकर्षण के लिए उनका न्यूनतम द्रव्यमान इतना हो कि वह लगभग गोल आकृति का हो। (ii) उनकी कक्षा अपने निकट के ग्रह के मार्ग को न काटे। प्लूटो उपर्युक्त मापदण्डों पर खरा नहीं उतरता है इसलिए इसे ग्रहों की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है।

Q-3. एक ग्रह के रूप में पृथ्वी का वर्णन कीजिए। (Describe earth as a planet) 5

Ans :- ग्रह रूप में पृथ्वी (Earth as a planet) : हमारी पृथ्वी सौर परिवार का पाँचवाँ सबसे बड़ा ग्रह है। सूर्य से उत्पत्ति के समय यह आग के एक गोले के समान थी। क्रमश यह शीतल होती गयी। यह सूर्य से लगभग 15 करोड़ किलोमीटर दूर है। सूर्य से दूरी की दृष्टि से यह सूर्य का तीसरा निकटतम ग्रह है। सूर्य से उपयुक्त दूरी के कारण ही पृथ्वी का तापक्रम सम है। यही कारण है कि केवल पृथ्वी पर ही प्राणी पाये जाते हैं। पृथ्वी का सबसे निकटतम ग्रह मंगल है। पृथ्वी अपनी कीली पर पश्चिम से पूर्व घूमती हुई प्रत्येक 24 घण्टे में एक चक्कर लगा देती है। इसे पृथ्वी की दैनिक गति या आवर्तन (Rotation) कहते हैं। पृथ्वी एक अण्डाकार मार्ग से सूर्य के चारों ओर घूमती है तथा 365¼ दिन में सूर्य की एक परिक्रमा (Revolution) कर लेती है। अन्य ग्रहों की तरह पृथ्वी में भी अपना प्रकाश और ताप नहीं है। इसे भी सूर्य से ही प्रकाश एवं ताप प्राप्त होता है। 

चन्द्रमा पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह है। यह भी सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होता है। यह लगभग 27 दिन 8 घण्टे में पृथ्वी की एक परिक्रमा करता है। इसके चारों ओर वायुमण्डल नहीं है। इसी से चन्द्रमा पर प्राणी नहीं मिलते। आकार में चन्द्रमा अन्य ग्रहों की तुलना में बहुत बड़ा है। इसी से बहुत से विद्वान चन्द्रमा को उपग्रह न मानकर ग्रह ही मानते हैं। यही कारण है कि पृथ्वी और चन्द्रमा को मिलाकर युगल ग्रह प्रणाली (Double planetary system) कहते हैं।

Q-4. पृथ्वी का वास्तविक आकार कैसा है? (What is the actual shape of the earth?) 5

Ans :- पृथ्वी की आकृति (Shape of the Earth) : साधारणत पृथ्वी चपटी दिखायी देती है। प्राचीन काल में अधिकांश लोगों की धारणा थी कि पृथ्वी का धरातल चपटा है और इसके किनारे अत्यन्त ढालू हैं। सर्वप्रथम ईसा पूर्व 540 ई० में प्रसिद्ध यूनानी दार्शनिक पाइथागोरस (Pythagoras) ने पृथ्वी को गोलाकार बताया। ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में प्रसिद्ध गणितज्ञ मिस्र (Egypt) देश के सिकन्दरिया (Alexandria) स्थान के निवासी इराटस्वनीज (Eratosthenes) ने भी पृथ्वी को गोलाकार बताया एवं उसकी परिधि की माप की इराटस्थनीज के समय में ही अरस्तू (Aristotle) ने चन्द्रग्रहण में बनी पृथ्वी की गोलाकार छाया को देखकर बताया कि I पृथ्वी की आकृति गोल है। प्राचीन भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक आर्यभट्ट (Aryabhatta) ने भी पृथ्वी को गोल बताया। आधुनिक काल में सर आइजक न्यूटन ने बताया कि पृथ्वी न केवल गोल है, परन्तु वह ध्रुवों पर चपटी भी है तथा इसकी आकृति नारंगी से मिलती है। इसी से पृथ्वी को चपटा उपगोत (Oblate spheroid) कहा जाता है। ऐसा गोला, जो दो विपरीत सिरों पर कुछ-कुछ चपटा हो, चपटा उपगोल कहा जाता है। जीन्स के अनुसार, पृथ्वी नाशपाती के आकार की है। कुछ लोग इसे सेव के आकार का भी मानते हैं। जॉन हर्शल के अनुसार पृथ्वी न तो नारंगी के समान है और न सेव के ही समान है। इसका अपना निजी आकार है जिसे 'पृथ्वी की शक्ल' (Geoid or earth shaped) कहना चाहिए। 

Q-5. कैसे सिद्ध कर सकते हैं कि पृथ्वी गोल है ? (How is the spheroidal shape of the earth can be proved?) 5

Ans :- पृथ्वी की गोलाभ आकृति के प्रमाण : निम्नलिखित प्रमाणों द्वारा यह सिद्ध किया जा सकता है कि पृथ्वी की आकृति गोल है - 

1. अन्तरिक्ष से पृथ्वी का दृश्य (View of the earth from space) :- प्राचीनकाल में पृथ्वी को गोलाकार प्रमाणित करने के लिए प्रमाणों की आवश्यकता पड़ती थी। हम चन्द्रमा की गोल आकृति को देख सकते हैं। अतः कोई भी व्यक्ति हमसे चन्द्रमा को गोलाकार प्रमाणित करने के लिए नहीं कहता। यही बात आज पृथ्वी के लिए भी है। आज बहुत से रूसी तथा अमेरिकी अन्तरिक्ष यात्रियों ने कृत्रिम उपग्रहों द्वारा पृथ्वी की अनेक पारेक्रमाएँ करके अन्तरिक्ष से पृथ्वी के कैमरा- चित्र लिये हैं। अन्तरिक्ष अथवा चन्द्रमा से लिये गये ये चित्र निर्विवाद रूप से यह प्रमाणित करते हैं कि पृथ्वी की आकृति गोल है। पृथ्वी पर जल की अधिकता के कारण अन्तरिक्ष से रंगीन टेलीविजन द्वारा लिए गये पृथ्वी के चित्र नीले रंग के दिखलाई पड़ते हैं। इसी से आजकल पृथ्वी को नीला ग्रह ( Blue planet) कहते हैं।

2. सौर परिवार के सभी ग्रहों का गोल होना : पृथ्वी तथा सौर-परिवार के अन्य सभी ग्रहों का जन्म सूर्य से ही हुआ है। सौर परिवार के अन्य सभी ग्रह एवं उनके उपग्रह गोल हैं। अतः पृथ्वी को भी अवश्य ही गोल होना चाहिए।

3. एक ही दिशा में यात्रा करने पर पुन: उसी स्थान पर लौट आना : यदि हम पृथ्वी के किसी स्थान से चलकर बिना मुड़े एक ही दिशा में यात्रा करते रहें तो पुन उसी स्थान पर पहुँच जाते हैं, जहाँ से चले थे। यदि पृथ्वी चपटी होती तो उसका किनारा खड़ा होता जहाँ से यात्री या जहाज नीचे गिर जाते मैगलन एवं कोलम्बस आदि यात्रियों ने सम्पूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा करके यह प्रमाणित कर दिया कि पृथ्वी गोल है। आधुनिक जलमार्ग एवं वायुमार्ग पृथ्वी को गोल मानकर ही बनाये गये हैं।

4. सूर्योदय व सूर्यास्त के समयों में अन्तर : प्रकाश की किरणें सरल रेखा में गमन करती हैं। यदि पृथ्वी चपटी होती तो सम्पूर्ण पृथ्वी पर एक साथ ही सूर्योदय एवं सूर्यास्त होते। परन्तु पृथ्वी के विभिन्न स्थानों पर सूर्योदय एवं सूर्यास्त भिन्न-भिन्न समयों पर होते हैं। यह पृथ्वी के गोलाकार होने से ही सम्भव है।

5. ऊँचाई के साथ क्षितिज का विस्तार : पृथ्वी व आकाश जहाँ मिलते हुए प्रतीत होते हैं, उसे क्षितिज कहते हैं। यदि पृथ्वी चपटी होती तो विभिन्न ऊँचाइयों से हमें क्षितिज का विस्तार एक समान ही दिखाई पड़ता। परन्तु यदि हवाई जहाज पर चढ़कर उसकी खिड़की से नीचे की ओर झाकें तो हम देखते हैं कि ज्यों ज्यों जहाज ऊपर उठता जाता है क्षितिज का विस्तार बढ़ता जाता है। इससे प्रमाणित होता है कि पृथ्वी की आकृति गोल है।

6. सम्पूर्ण जलयान का एक साथ न दिखाई देना : यदि पृथ्वी चपटी होती तो समुद्र में जलयान का पूरा भाग एक साथ ही दिखाई पड़ता तथा एक साथ ही दृष्टि से ओझल होता। परन्तु यदि हम समुद्र तट पर खड़े होकर तट की ओर आते हुए जलयान की ओर दृष्टि डालें तो हम देखते हैं कि पहले जहाज का केवल ऊपरी भाग (मस्तूल) ही दिखाई पड़ता है। जहाज के पास आने पर क्रमश उसके मध्य एवं नीचे के भाग दिखाई पड़ते हैं। इसी प्रकार तट से दूर जाते हुए जलयान का सबसे पहले निचला भाग पुन मध्य का भाग और अन्त में इसका ऊपरी भाग दृष्टि से ओझल होता है। इससे प्रमाणित होता है कि पृथ्वी गोल है।

7. बेडफोर्ड का प्रयोग (Bedford Experiment) : ए० आर० वैलेस ने जमनी में बेडफोर्ड की नहर में समान दूरियों (एक-एक मील की दूरी पर तीन खम्भे इस प्रकार गाड़े कि जल-तल से उनकी ऊँचाई समान थी। एक ओर से दूरबीन द्वारा देखने पर पता चला कि बीच के खम्भे का सिरा शेष दो खम्भों के सिरों से लगभग 8 इंच ऊँचा था। इसका कारण पृथ्वी की गोल आकृति ही है। यदि पृथ्वी चपटी होती तो सभी खम्भों की ऊँचाई समान दिखाई पड़ती। इसी प्रयोग के आधार पर नहर बनाने वाले इंजीनियर तथा सर्वेक्षण (पैमाइश) करने वाले प्रत्येक 1 मील की दूरी पर 8 इंच ऊँचाई का सुधार कर लेते हैं।

8. सूर्य की कोणिक ऊँचाई में जन्तर : सूर्य हमारी पृथ्वी से अनन्त दूरी पर स्थित है। अनन्त से आने वाली किरणें समानान्तर होती हैं। समानान्तर किरणें चपटे तल के साथ समान कोण बनाती हैं। परन्तु विभिन्न स्थानों पर सूर्य तथा तारों की कोणिक ऊँचाई में अन्तर मिलता है। सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर लम्बवत् पड़ती हैं। भूमध्य रेखा से दूर जाने पर सूर्य की किरणें तिरछी पड़ने लगती हैं। यह तभी सम्भव है जब पृथ्वी की आकृति गोल हो।

9. ध्रुवतारे की कोणिक ऊँचाई में अन्तर : ध्रुवतारा सदा उत्तरी ध्रुव पर लम्बवत् चमकता है। वहाँ उसकी कोणिक ऊँचाई 90° होती है। ज्यों-ज्यों हम वहाँ से दक्षिण की ओर चन्द्रमा जाते हैं उसकी कोणिक ऊँचाई घटती जाती है। 45° उत्तरी अक्षांश पर उसकी कोणिक ऊँचाई 45° तथा भूमध्य रेखा (0° अक्षांश रेखा) पर उसको कोणिक ऊँचाई 0° होती है और वहाँ वह क्षितिज पर दिखाई देता है। इससे भी यह प्रमाणित होता है कि पृथ्वी का आकार गोल है।

10. चन्द्रग्रहण में पृथ्वी की गोल छाया : चन्द्रग्रहण के समय चन्द्रमा पर पड़ने वाली पृथ्वी की छाया गोल होती है। केवल गोल वस्तु को ही छाया गोल हो सकती है। इससे भी प्रमाणित होता है कि पृथ्वी का आकार गोल है।

Q-6. इराटस्थनीज ने पृथ्वी की परिधि का आकलन किस प्रकार की और आज वह कहाँ तक ठीक है? अथवा पृथ्वी के आकार के विषय में लिखो। (How did Eratosthenes calculate the earth's circumference and how far does it hold good today? Or, Discuss the size of the earth? )

Ans :- पृथ्वी का आकार (Size of the Earth) : पृथ्वी की परिधि की माप ज्ञात करने का प्रयास सर्वप्रथम मिस्र देश के निवासी इराटस्थनीज ने किया। उसने 21 जून को कर्क रेखा के पास अस्वान के समीप स्थित सीन (Syene) नगर में ठीक दोपहर के समय एक लम्बवत् खम्भा गाड़कर देखा कि सूर्य की किरणें पृथ्वी पर लम्ववत् पड़ रही हैं और खम्भे के साथ कोई कोण नहीं बना रही हैं। अगले वर्ष 21 जून को ठीक दोपहर के समय ही सीन से 772 किलोमीटर दूर मिस्र स्थित सिकन्दरिया (Alexandria) में लम्बवत् खम्भा गाड़कर निरीक्षण किया और पाया कि इस स्थान पर सूर्य की किरणें लम्बवत् खंभे के साथ 72° (7°12') का कोण बना रही हैं। अनंत दूरी से आने के कारण सूर्य की किरणें समानान्तर होती हैं। हम रेखागणित में पढ़ चुके हैं कि दो समानान्तर सरल रेखाओं को यदि एक सरल रेखा काटे तो एकान्तर कोण बराबर होते हैं। इस नियम से सूर्य की किरणें सिकन्दरिया में लम्बवत् खम्भे के साथ जो 72° का कोण बनाती हैं सीन व सिकन्दरिया को पृथ्वी के केन्द्र से मिलाने वाली रेखाओं द्वारा वही 72° का कोण पृथ्वी के केन्द्र पर बनता है। पृथ्वी के केन्द्र पर 360° का कोण बनता है जिसमें 72° के कोण द्वारा 772 किलोमीटर की दूरी मापी जाती है। अत इराटस्थनीज ने निम्न प्रकार से गणना करके पृथ्वी की परिधि की लम्बाई ज्ञात की :

∵   भू-केन्द्र पर 7.2° के कोण पर परिधि की दूरी = 772 कि० मी० ।

⇒                       1°    "  "   "  ''  "   "   "    "     = 772/ 7.2 कि० मी०

∴                    360°    "  "   "  ''  "   "   "    "     = 772/7.2x360 = 38,600 कि०मी०

उपरोक्त गणना अब भी लगभग सही समझी जाती है। वस्तुत पृथ्वी की भूमध्यरेखीय परिधि 40,077 किलोमीटर तथा ध्रुवीय परिधि लगभग 40,009 किलोमीटर है। इसका कारण पृथ्वी की दैनिक गति या आवर्तन है। आवर्तन गति के कारण ही भूमध्यरेखीय भाग में फैलाव तथा ध्रुवीय भाग में पिचकाव आ गया है। पृथ्वी का औसत अर्द्धव्यास (Radius) 6,368 किलोमीटर (लगभग 6.400 किलोमीटर) है।

ब्यास (Diametre) : चूँकि व्यास परिधि का 7/22 होता है। अतः पृथ्वी का भूमध्यरेखीय व्यास 12,757 किलोमीटर तथा ध्रुवीय व्यास 12,714 किलोमीटर है। इस प्रकार भूमध्यरेखीय व्यास ध्रुवीय व्यास की अपेक्षा 43 किलोमीटर बड़ा है। 

क्षेत्रफल (Area) : चूँकि गोले का क्षेत्रफल 4πr² होता है। अतः पृथ्वी के सम्पूर्ण धरातल का क्षेत्रफल लगभग 51 करोड़ 54 लाख वर्ग किलोमीटर है। इसके 71 प्रतिशत भाग पर जल तथा शेष 29 प्रतिशत भाग पर स्थल है। 

7. ग्रह एवं उपग्रह में क्या अन्तर है? (What are the distinguish beticeen Planets and Satellites?)

Ans :- (a) ग्रह एवं उपग्रह में अन्तर (Distinguish between Planets and Satellites) : 

ग्रह (Planet)

उपग्रह (Satellites)

1. सूर्य के चारो ओर चक्कर लगाने वाले गोलाकार पिण्डों को ग्रह कहते हैं

 

1. ग्रहों की परिक्रमा करने वाले अपेक्षाकृत छोटे गोलाकार पिण्डों को उपग्रह कहते हैं।

2. ग्रहों की उत्पत्ति सूर्य से हुई है। 

2. उपग्रहों की उत्पत्ति ग्रहों से हुई है।

3. ग्रहों की संख्या 9 है।

3. उपग्रहों की संख्या 65 है।

Q-8. पृथ्वी पर जीवन के लिए अनुकूल कारकों का वर्णन कीजिए। (Describe the favourable factors for existance of life on the surface of the earth.) 

Ans :- सौरमण्डल के सभी ग्रहों में पृथ्वी एक ऐसा ग्रह है, जहाँ इसकी आदर्श स्थिति के कारण जीवन सम्भव है। पृथ्वी पर जीव जगत की उपस्थिति के लिए निम्नलिखित अनुकूल दशाएँ विद्यमान हैं -

(1) अनुकूल तापमान - सूर्य से दूरी के क्रम में पृथ्वी का बुध एवं शुक्र के बाद तीसरा स्थान है। किसी भी ग्रह पर ताप प्राप्ति की मात्रा सूर्य से दूरी पर निर्भर करती है। पृथ्वी बुध एवं शुक्र की तरह न ही सूर्य के काफी निकट स्थित है और न ही यूरेनस तथा नेप्ट्यून की तरह बहुत दूर स्थित है। सौरमण्डल में इस आदर्श स्थिति के कारण यहाँ ताप प्राप्ति की मात्रा न तो बहुत अधिक है, और न ही बहुत कम है। यहाँ सतह का औसत तापमान 17°C के आसपास रहता है। यह तापमान जैव जगत एवं मानव विकास क अनुकूल है।

(2) अनुकूल वायुमण्डल - पृथ्वी के चारों तरफ वायु का एक आवरण है, जिसे वायुमण्डल कहते हैं। इस वायुमण्डल में ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन डाई ऑक्साइड तथा ओजोन आदि गैसें एवं जलवाप्प विद्यमान हैं। ये सभी गैसें एवं जलवाष्प जीव-जन्तुओं एवं पौधों के लिए आवश्यक हैं। यद्यपि अन्य ग्रहों के चारों तरफ भी वायुमण्डल उपस्थित है, > परन्तु यह या तो बहुत विरल है या यहाँ जीवनदायिनी गैस ऑक्सीजन एवं जलवाष्प की कमी है। सूर्य से दूरी के क्रम में शुक्र का स्थान बुध के बाद दूसरा है, परन्तु यह बुध से अधिक गर्म है क्योंकि इसके वायुमण्डल में 90-95 % कार्बन डाई ऑक्साइड गैस है। इस कार्बन-डाई-ऑक्साइड गैस के कारण हरित गृह प्रभाव (Green house effect) उत्पन्न होता है, जिससे यहाँ सतह का तापमान बहुत ऊँचा रहता है। पृथ्वी के वायुमण्डल में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बहुत कम है, जिससे यहाँ हरित गृह का प्रभाव कम रहता है। इसके अतिरिक्त वायुमण्डल में ओजोन गैसों की उपस्थिति सूर्य की अति पराबैंगनी किरणों को धरातल पर पहुँचने से रोकती है। पृथ्वी के चारों तरफ व्याप्त वायुमण्डल के कारण ही दिन का तापमान न तो बहुत अधिक बढ़ने पाता है और न हो रात का तापमान बहुत नीचे गिरता है। 

(3) जल की उपस्थिति - पृथ्वी को जलीय ग्रह (Watery planet) कहते हैं। इसकी सतह का लगभग दो तिहाई भाग जल से भरा है। अनुकूल तापमान के कारण जल यहाँ ठोस, द्रव तथा गैस अपने तीनों ही रूपों में विद्यमान है। जलचक्र द्वारा जल द्रव रूप में यहाँ सजीवों के लिए लगातार उपलब्ध रहता है। पृथ्वी पर जल की उपस्थिति अन्य जीवों के साथ-साथ मानव निवास के लिए अति महत्त्वपूर्ण कारक सिद्ध हुई है।

(4) मिट्टी की उपलब्धता - पृथ्वी के ऊपरी ठोस आवरण अर्थात् भूपटल का निर्माण चट्टानों से हुआ है। चट्टानों के टूटने-फूटने से मिट्टी का निर्माण हुआ है। धरातल पर मिट्टी की उपस्थिति प्रत्यक्ष एवं परोक्ष दोनों ही रूपों में वनस्पतियों एवं जीव-जंतुओं के अस्तित्व के लिए उत्तरदायी है। 

संक्षेप में हम कह सकते हैं कि सौरमण्डल में पृथ्वी की उत्तम स्थिति के कारण यहाँ अनुकूल वायुमण्डल, जलमण्डल एवं स्थलमण्डल की उपलब्धता ने इसे जीव-जन्तुओं एवं मानव निवास के लिए अनुकूल ग्रह के रूप में विकसित किया है।

Q-9. G.P.S. के प्रयोग से पृथ्वी की माप कैसे की जा सकती है? वर्णन कीजिए। (How can the earth be mesure with the help of G.P.S.? Describe.)

Ans :- G.P.S. अर्थात् Global Positioning System पृथ्वी पर किसी स्थान की स्थिति की जानकारी का सबसे विश्वसनीय साधन है। G.P.S. का उपयोग करने वाले जलयान के नाविकों को पृथ्वी पर अपनी सही स्थिति का ज्ञान तो होता ही रहता है। इसके साथ-साथ उनकी अगली सही स्थिति क्या होगी, इसकी भी जानकारी उन्हें प्राप्त होती रहती है। G.P.S. का उपयोग करने के लिए G.P.S. रिसीवर की आवश्यकता होती है। यह रिसीवर G.P.S. उपग्रहों से भेजी गयी सूचनाओं को प्राप्त करती है। सबसे पहले संयुक्त राज्य अमेरिका ने G.P.S. का उपयोग अपनी सैन्य सुविधाओं के लिए किया। वर्तमान समय में सभी देश उसका उपयोग सेल फोन मनोरंजन, आपातकालीन सेवाओं, मौसम सम्बन्धी जानकारियों, मानचित्र निर्माण तथा भूकम्पीय गतियों को मापने में कर रहे हैं। इन विविध उपयोगों के अतिरिक्त पृथ्वी के परिधि की माप में भी G.P.S. का उपयोग किया जा सकता है।


Q-10. सौरमण्डल के पार्थिव ग्रहों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। (Describe in brief about the terrestrial planets of solar system.)

Ans :- बुध (Mercury) : सौर परिवार के नौ ग्रहों में यह सबसे छोटा ग्रह है, जिसका व्यास लगभग 5 हजार किलोमीटर है। यह सूर्य से सबसे निकट का ग्रह है फिर भी सूर्य से लगभग 5.8 करोड़ किलोमीटर दूर है। यह कभी-कभी खुली आँखों से सूर्योदय के पहले और सूर्यास्त के बाद क्षितिज के पास दिखाई पड़ता है। लगभग 88 दिन में यह सूर्य की एक परिक्रमा कर लेता है। लगभग 59 दिन में यह अपनी धुरी पर एक बार घूम जाता है। इसका एक भाग सदा सूर्य के सामने तथा दूसरा भाग सदा सूर्य के विपरीत रहता है। जो भाग सूर्य के सामने रहता है। वहाँ हमेशा दिन तथा जो भाग सूर्य के विपरीत रहता है वहाँ सदा रात रहती है। सूर्य के सामने वाला भाग प्रचण्ड गर्म (400°C तक) तथा विपरीत वाला भाग अत्यधिक ठण्डा (-173°C) रहता है। इसके पृष्ठ तल का औसत तापक्रम 350°C रहता है। यह सौरमण्डल का सबसे गर्म ग्रह है। इस ग्रह पर जल एवं वायुमण्डल भी नहीं है। अतः इस ग्रह जीवों का मिलना असंभव है। यह एक पथरीला ग्रह है। इसका कोई उपग्रह नहीं है।

शुक्र (Venus) : यह का दूसरा निकटतम ग्रह है। यह सूर्य से लगभग 10.8 करोड़ किलोमीटर दूर स्थित है। इसका व्यास 12,104 किलोमीटर है। यह अपनी धुरी पर 243 दिनों में एक बार घूमता है तथा लगभग 225 दिनों में सूर्य की एक परिक्रमा कर लेता है। यह सूर्योदय के पहले आकाश में पूर्व दिशा में दिखाई पड़ता है जिसे प्रात: तारा (Morning Star) कहते हैं। सूर्यास्त के समय यह आकाश में पश्चिम की ओर दिखाई पड़ता है जिसे संध्या तारा (Evening Star) कहते हैं। यह एक पथरीला ग्रह है। यह सौर परिवार का सबसे चमकीला ग्रह है। इसका कोई उपग्रह नहीं है। इसके पृष्ठतल का औसत तापक्रम 480°C है। इस ग्रह पर भी जीवों का मिलना असंभव है।

पृथ्वी (Earth) : सूर्य से दूरी की दृष्टि से ग्रहों में पृथ्वी का तीसरा स्थान है। सूर्य से यह लगभग 15 करोड़ किलोमीटर दूर है। आकार की दृष्टि से यह सौरमण्डल का पाँचवाँ सबसे बड़ा ग्रह है। चार ग्रह पृथ्वी से बड़े तथा चार ग्रह छोटे हैं। पृथ्वी एक लट्टू की भाँति अपनी कल्पित कीली पर घूमती है तथा लगभग 24 घण्टों में एक पूरा चक्कर धूम जाती है। साथ ही पृथ्वी मंगल एवं शुक्र के बीच स्थित अण्डाकार मार्ग (भू-कक्षा) से होकर अघड़ीवत दिशा में सूर्य के चारों ओर घूमती है तथा लगभग 365 दिनों में सूर्य की एक परिक्रमा कर लेती है। इसका एकमात्र उपग्रह चन्द्रमा है। सौर परिवार के सभी ग्रहों में पृथ्वी सबसे महत्वपूर्ण एवं अनुपम है। यह सूर्य के न तो काफी नजदीक है और न काफी दूर है। पृथ्वी का तापक्रम इतना उपयुक्त है कि एकमात्र पृथ्वी पर ही विभिन्न प्रकार के जीव तथा विभिन्न प्रकार की वनस्पतियाँ पाई जाती हैं। हम मानव भी इसी ग्रह के निवासी हैं।

मंगल (Mars) : सूर्य से दूरी के विचार से ग्रहों में मंगल ग्रह का चौथा स्थान है। यह सूर्य से लगभग 22 करोड़ 80 लाख किलोमीटर दूर है। इसका व्यास लगभग 7 हजार किलोमीटर है। यह 24 घण्टे 37 मिनट 23 सेकेण्ड में अपनी धुरी पर एक बार घूम जाता है। सूर्य की एक बार परिक्रमा करने में इसे 687 दिन लग जाते हैं। यह लौहयुक्त धूल की परतों से ढका हुआ है। अतः यह लाल एवं चमकीला दिखाई पड़ता है। इसी से इसे लाल ग्रह (Red Planet) कहा जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार मंगल ग्रह पर वायुमण्डल है, जिसमें कार्बन-डाई-ऑक्साइड गैस की प्रधानता है। इसके पृष्ठ तल का औसत तापक्रम '-50°C' रहता है। पृथ्वी की तरह यहाँ भी ग्रीष्म और शीत ऋतुओं का परिवर्तन होता है। पृथ्वी से कई बातों में समानता के कारण वैज्ञानिकों की धारणा है कि मंगल ग्रह पर भी जीव पाए जा सकते हैं किन्तु अभी तक इसका कोई प्रमाण नहीं मिल पाया है। मंगल के दो उपग्रह हैं - फोबस एवं

डाइमोस । 

Q-11. सौरमण्डल के जोवियन ग्रहों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। (Describe in brief about the jovian planets of solar system.)

Ans :- बृहस्पति (Jupiter) : सूर्य से दूरी के विचार से बृहस्पति सौरमण्डल का पाँचवाँ ग्रह है। यह सूर्य से लगभग 77.8 करोड़ किलोमीटर दूर है। यह सौरमण्डल का सबसे बड़ा ग्रह है। इसका व्यास लगभग 1.5 लाख किलोमीटर है। आकार में पृथ्वी से यह लगभग 13 सौ गुना बड़ा है। अपने अक्ष पर यह लगभग 9 घण्टा 50 मिनट 30 सेकेण्ड में एक बार घूम जाता है। सूर्य की एक बार परिक्रमा करने में इसे 11 वर्ष 318 दिन लग जाते हैं। इसके पृष्ठ तल का तापक्रम 50°C है। यह पूर्ण रूप से बर्फ से ढका है अतः जब कभी यह पृथ्वी के निकट आ जाता है, तो अत्यन्त चमकीला दिखाई पड़ता है। वृहस्पति एक गैसीय ग्रह है जिसमें हाइड्रोजन एवं हीलियम गैसों की प्रधानता है। इस ग्रह पर जीवों का अस्तित्व नहीं है। वृहस्पति के 16 उपग्रह हैं जिनमें गैनीमिड, कैलसेटा और यूरोपा प्रमुख हैं। गैनीमिड वृहस्पति का सबसे बड़ा उपग्रह हैं।

शनि (Saturn) : सूर्य से छठे स्थान पर स्थित शनि ग्रह वृहस्पति के बाद सौरमण्डल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है। यह सूर्य से लगभग 142.7 करोड़ किलोमीटर दूर है। इसका व्यास 119,300 किलोमीटर है। यह पृथ्वी से लगभग 755 गुना बड़ा है। यह 10 घण्टे 14 मिनट में अपने अक्ष पर एक बार घूम लेता है तथा सूर्य की एक बार परिक्रमा करने में इसे लगभग 29 वर्ष 174 दिन लगते हैं। कक्ष पथ पर इसकी गति 9.8 किलोमीटर प्रति सेकेण्ड है। अत्यन्त धीमी गति के कारण ही प्राचीन ज्योतिषियों ने इसका नाम शनीचर रखा शनीचर 'शनै चर का बिगड़ा हुआ रूप है जिसका अर्थ है 'धीरे-धीरे चलने वाला' शनि के चारों ओर तीन अलग-अलग पट्टियों से बना बलय (Ring) मिलता है जिसे शनि चक्र कहते हैं। इसका वायुमण्डल हाइड्रोजन एवं हीलियम गैसों से बना है। इसकी ऊपरी सतह का तापक्रम '-180°C' रहता है। शनि के 23 उपग्रह हैं जिनमें टाइटन सबसे बड़ा है। वास्तव में टाइटन सौरमण्डल का सबसे बड़ा उपग्रह है, जो बुध ग्रह से भी बड़ा है।

यूरेनस या अरुण (Uranus) : हार्शल नामक वैज्ञानिक ने इस ग्रह की खोज सन् 1981 ई० में की थी। यह सूर्य से दूरी के विचार से सातवाँ ग्रह है। सूर्य से इसकी दूरी लगभग 287 करोड़ किलोमीटर है। यह सौरमण्डल का तीसरा सबसे बड़ा ग्रह है। इसका व्यास लगभग 50 हजार किलोमीटर है। इसका व्यास पृथ्वी के व्यास का चार गुना है। इसका आयतन पृथ्वी से 67 गुना बड़ा है। यह लगभग 24 घण्टे में अपनी धुरी पर एक बार आवर्तन कर लेता है तथा सूर्य की एक बार परिक्रमा करने में इसे 84 वर्ष लग जाते हैं। यह पृथ्वी के परिक्रमण की विपरीत दिशा अर्थात् घड़ीवत दिशा में सूर्य की परिक्रमा करता है। यह देखने में हरे रंग का है। शनि की तरह ही यूरेनस के चारो ओर बलय दिखाई पड़ते हैं, परन्तु ये बलय शनि के वलय की तरह चमकल नहीं है। इसके वायुमण्डल का औसत तापक्रम -210 C रहता है। यूरेनस के पाँच उपग्रह हैं एरियल, मिराण्डा, आम्ब्रियल, ओबरन और टाइटानिया ।

नेपच्यून या वरुण (Neptune) : यह सौर परिवार का चौथा बड़ा ग्रह है तथा सूर्य से आठवें स्थान पर स्थित है। यह सूर्य से लगभग 4.5 अरब किलोमीटर दूर है। इसका व्यास 48 हजार किलोमीटर है। अपने अक्ष पर यह 15 पण्टे 48 मिनट में एक बार घूम जाता है। यह सूर्य की एक परिक्रमा 165 वर्ष में करता है यूरेनस की भाँति यह ग्रह भी हरे रंग का है। इसके पृष्ठ तल का औसत तापक्रम -220°C है। इसके वायुमण्डल में हाइड्रोजन, हीलियम एवं मिथेन आदि जहरीली गैसें पाई जाती है। इसके दो उपग्रह हैं जिनमें एक का नाम ट्राइटन है, जो चन्द्रमा से कुछ बड़ा है।


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